लेखनी कहानी -01-Aug-2022 हाय दिल
दिल बड़ा रंगीन है, आशिक है, आवारा है, बेईमान है, सौदाई है, और न जाने क्या क्या है । कोई इसे मासूम बताता है तो कोई हरजाई । सबके अपने अपने अनुभव हैं दिल के साथ । किसी दिल ने चोट पहुंचाई तो किसी ने खाई । अजब है दिल की दुनिया गजब हैं इसके अफसाने । सदियों गुजर जायेंगी जो लगे इसको सुनाने ।
अजी, आज हम दिल पुराण लेकर बैठ गए तो इसका भी कोई कारण है । दो तीन दिनों से हम लेखन से गायब रहे । उसका भी कोई कारण है । दिल के हाथों लोग मजबूर हो जाते हैं , हम भी हो गए। हुआ यूं कि परसों की बात है, मैं और श्रीमती जी बेटी की ससुराल चले गये थे मिलने के लिए । पास ही तो रहती है वह । महज चार किलोमीटर दूर , जब चाहो चले जाओ और जब चाहो आ जाओ । तो हम दोनों उससे और समधी जी समधन जी से मिलकर रात को करीब 11.15 बजे घर आ गये ।
घर आने पर मुझे कुछ कुछ बेचैनी सी होने लगी । लगा कि कुछ खान पान की गड़बड़ी होगी । यद्यपि मैं बहुत सादा जीवन जीता हूं , सादा खाना खाता हूं । फिर भी न जाने क्यूं बेचैनी सी होने लगी थक । कारण समझ में नहीं आ रहा था । मैं पलंग पर लेट गया मगर कोई आराम नहीं मिला । दो चार करवट इधर उधर ली लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा बल्कि बेचैनी और बढ गई ।
मैं खड़ा हो गया । चहलकदमी करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । नन्हा शिवांश (पौत्र) मेरे और श्रीमती जी के साथ खेल रहा था मगर मेरा ध्यान तो बेचैनी पर था । मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है तो मैं वाशरूम चला गया । वहां दो मिनट खड़े रहना मुश्किल हो गया तो मैं वाशरूम से जल्दी से बाहर आ गया और ड्रेसिंग रूम में बैठ गया । पर बैठने की भी ताकत नहीं थी तो लेट गया ।
इस स्थिति ने श्रीमती जी का ध्यान मेरी ओर आकृष्ट किया और वे मेरे पास आ गईं । मैं स्थिति की गंभीरता को समझ गया था इसलिए उनसे कहा कि वे जोर जोर से मेरी छाती को दबाएं । जैसा कि औरतें दबाती हैं , श्रीमती जी धीरे धीरे दबाने लगीं । जब मैंने सख्त लहजे में कहा कि पूरी ताकत से दबाओ और एम्बुलेंस बुलवाओ। तब सब अलर्ट मोड़ में आ गये । बेटा एम्बुलेंस के लिए फोन लगाने लगा । श्रीमती जी "पम्पिंग" करने लगीं । मैं अर्द्ध चेतन अवस्था में था और सबको निर्देश भी दे रहा था । ऐम्बुलेंस में समय लग रहा था इसलिए मैंने कहा कि अपनी गाड़ी में ही अस्पताल लेकर चलो, तुरंत । तब दो लोगों ने मुझे खड़ा किया और मैं पूरी ताकत लगाकर खड़ा हो गया । प्रथम मंजिल से भूतल पर जाना काफी कठिन काम था । मुकद्दर का असर देखिए कि लिफ्ट भी थोड़ी देर पहले ही खराब हुई थी । मजबूरन सीढियों से ही उतरना पड़ा ।
गाड़ी में पीछे की सीट पर मुझे लिटा दिया गया और हमारा सेवक राम पीछे बैठ गया । बेटा गाड़ी चलाने लगा और बहू भी आगे बैठ गई । गाड़ी चल पड़ी । "कृष्णा हार्ट केयर" अस्पताल घर से बमुश्किल दो किलोमीटर दूर था । रात के 11.45 हो गए थे । गाड़ी में लेटते ही मुझे चैन आ गया था । मैं समझ गया था कि भगवान मुझ पर प्रसन्न हैं और जो संकट आया था , वह अब टल चुका है । मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया ।
अस्पताल तक पहुंचते पहुंचते मैं काफी हद तक ठीक हो गया था और खुद ही चलकर इमरजेन्सी में चला गया । वहां मेरा ब्लडप्रेशर, ऑक्सीजन लेवल और पल्स नापा गया जो बिल्कुल ठीक था । तुरंत ई सी जी किया गया वह भी नॉर्मल ही था । अब शंका के बादल छंट रहे थे मगर अभी एन्जियोग्राफी होनी बाकी थी । उसके लिए कल आने को बोला गया । एक इंजेक्शन लगाकर और एक गोली खिलाकर मुझे घर भेज दिया गया ।
कल , यानि 31 जुलाई को हृदय रोग से संबंधित शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में मैं चैकअप और एन्जियोग्राफी के लिए भर्ती हो गया । ऐन्जियोग्राफी हो गई मगर उसमें हलके हलके कुछ ब्लॉकेज पाए गये । मतलब यहां पर दिल दगा दे गया । दिल मुझसे बहुत कहता था कि वह बहुत मजबूत है मगर वह उतना मजबूत नहीं निकला जितनी कि वह डींगें हांकता था । कमजोर कहीं का । बेईमान दिल दगा कर गया और जिन्दगी भर के लिए दवाओं का इंतजाम कर गया । हालांकि दवा के नाम पर बस एक गोली रोज रात को लेनी है । मगर मेरा मानना है कि "गोली" तो नेता और अफसर ही खूब दे रहे हैं आजकल । अब ये डॉक्टर भी गोली दे रहा है । तो भैया , गोली खाओ और काम चलाओ । वैसे सयाने लोगों ने खूब कहा है कि दिल दा मामला है । ये बड़ा नाजुक होता है इसलिए इसे बड़े जतन से रखिये । वरना गोलियों के भरोसे रहना पड़ेगा । आज वापस आ गये घर । बस ये गाते गाते आए हैं
दिल में बसा के "ब्लॉकेज" का तूफान ले चले
हम आज अपने संग गोलियों का सामान ले चले ।।
अब शायद लिखना थोड़ा कम होगा । पर ईश्वर की इच्छा के आगे किसकी चलती है ।
राधे राधे ।
श्री हरि
1.8.22
Muskan khan
02-Aug-2022 05:30 PM
👌👌
Reply
Milind salve
02-Aug-2022 08:49 AM
शानदार प्रस्तुति
Reply
Ali Ahmad
02-Aug-2022 12:38 AM
😱😱😱
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
02-Aug-2022 08:02 AM
🙏🙏
Reply